अक्षांश और देशांतर रेखाएं पृथ्वी पर काल्पनिक रेखाएं हैं। इन
रेखाओं का वर्णन पृथ्वी को गोलाकार मानकर किया गया है।
पृथ्वी के मध्य से विषुवत रेखा गुजरती है। इसी रेखा के
उत्तर या दक्षिण की और कोणीय दूरी अक्षांश है। विषुवत 0० का अक्षांश
है।
विषुवत रेखा पृथ्वी को दो बराबर भागों में विभाजित करती है,
जिसका ऊपरी भाग उत्तरी गोलार्द्ध तथा निचला भाग दक्षिणी गोलार्द्ध कहलाता है।
पृथ्वी के दो ध्रुव (उत्तरी व दक्षिणी ध्रुव) हैं। विषुवत
रेखा से इन दोनों ध्रुवों तक समानांतर रेखाओं का निर्माण होता है, जिन्हें अक्षांश
रेखाएं/वृत कहा जाता है।
सभी अक्षांश रेखाएं एक दूसरे और विषुवत के समानांतर होती
हैं।
विषुवत के उत्तर में उत्तरी अक्षांश रेखाएं व दक्षिण में
दक्षिणी अक्षांश रेखाएं होती हैं।
विषुवत से उत्तर या दक्षिण में जाने पर अक्षांशों में
वृद्धि होती है जबकि अक्षांश वृत छोटे हो जाते हैं।
सबसे उत्तरी अक्षांश, उत्तरी ध्रुव व दक्षिणी अक्षांश,
दक्षिणी ध्रुव को दर्शाता है, जो क्रमशः 90०उ व 90०द में
स्थित है।
प्रमुख अक्षांश वृत:
·
0 – विषुवत वृत
·
23.5 उत्तर – कर्क वृत
·
23.5 दक्षिण – मकर वृत
·
66.5 उत्तर –
आर्कटिक
·
66.5 दक्षिण – अंटार्कटिक
21 जून को सूर्य, कर्क रेखा पर लंबवत रहता है जबकि 22
दिसम्बर को मकर रेखा पर।
अक्षांश वृत पृथ्वी को प्रत्येक गोलार्द्ध में तीन भागों में
विभाजित करते हैं
- कर्क रेखा तथा मकर रेखा के मध्य : उष्ण कटिबंध
- आर्कटिक तथा कर्क रेखा और अंटार्कटिक वृत तथा मकर रेखा के मध्य : शीतोष्ण कटिबंध
- उत्तरी ध्रुव तथा आर्कटिक और दक्षिणी ध्रुव तथा अंटार्कटिक वृत के मध्य : शीत कटिबंध
अक्षांश रेखाओं को देशांतर रेखाएं, समकोण पर काटती है।
देशांतर रेखाएं/ध्रुववृत उत्तरी ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव से मिलती
हैं।
अक्षांश रेखाएं एक पूरा वृत बनती है, परंतु देशांतर रेखाएं केवल
अर्द्धवृत होती हैं।
सभी देशांतर रेखाओं की लंबाई समान होती है परंतु ये समानांतर
नहीं होती।
देशांतर रेखाओं के बीच सबसे कम दूरी ध्रुवों पर होती है जबकि
सर्वाधिक दूरी विषुवत (लगभग 112 किमी) पर होती है।
इंग्लैंड के ग्रीनविच से गुजरने वाली देशांतर रेखा 0° पर स्थित है।
इसे ग्रीनविच रेखा/प्रधान मध्याह्न रेखा कहा जाता है। इसके बाईं/पश्चिम की और सभी 180
रेखाओं को पश्चिमी देशांतर तथा दाईं /पूर्व की और सभी 180 रेखाओं को पूर्वी देशांतर
कहा जाता है।
समय निर्धारण
देशांतर रेखाओं द्वारा समय का पता लगाया जाता है।
प्रधान मध्याह्न रेखा के आधार पर पृथ्वी के विभिन भागों का समय
निर्धारित किया गया है।
चूँकि पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है,
प्रधान मध्याह्न रेखा के पूर्व में समय ग्रीनविच से आगे तथा पश्चिम में समय पीछे होता
है।
दो देशयंत्रों के मध्य 4 मिनट का अंतर होता है अर्थात 1° देशांतर घूमने में पृथ्वी को 4 मिनट का समय लगता है।
इसी प्रकार 15° देशांतर घूमने में पृथ्वी को 1 घंटे का समय लगता है।
प्रधान मध्याह्न रेखा से 180° देशांतर पूर्व में
जाने में (180*4=720 मिनट=12 घंटे ) का समय लगता है। उसी प्रकार 180° देशांतर पश्चिम में जाने में 12 घंटे का समय लगता है। अतः एक दिन में 24 घंटे
होते हैं।
भारत में 82°30´ पूर्वी
देशांतर रेखा को मानक मध्याह्न रेखा (मानक समय) माना गया है।
यह रेखा प्रयागराज, उत्तरप्रदेश
के निकट नैनी नामक जगह से गुजरती है। यह रेखा ग्रीनविच मानक समय से 5 घंटे 30 मिनट
आगे है।
180° देशांतर की रेखा (प्रतिरेखांश) को अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा कहा जाता है।
यह प्रधान मध्याह्न रेखा से मिलकर एक महावृत्त बनाती है, जो पृथ्वी को
पूर्वी और पश्चिमी गोलार्धों में विभाजित करता है। यह प्रशांत महासागर से होकर गुजरती
है।
अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा के पूर्व में एक दिन की कमी तथा पश्चिम
में एक दिन की वृद्धि होती है। यह रेखा सीधी नहीं है। साइबेरिया और अलस्का को अलग रखने
के लिए इसे 75° अक्षांश पर पूर्व की और तथा फ़िजी और न्यूजीलैण्ड
को अलग रखने के लिए पश्चिम की ओर मोड दिया गया है।
विभिन अक्षांश रेखाएं
विभिन देशांतर रेखाएं
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