अन्य ग्रहों की तरह पृथ्वी की भी दो तरह की गतियाँ हैं – घूर्णन गति एवं परिक्रमण

घूर्णन गति
जब पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती है, उसे घूर्णन गति कहते हैं। 

पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है। ध्रुव तारा से देखने पर पृथ्वी की घूर्णन गति घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत दिखाई देती है।

सूर्य के संदर्भ में पृथ्वी 24 घंटों में अपना एक घूर्णन पूरा करती है, इसे एक सौर दिवस कहा जाता है। 

अन्य किसी तारे के संदर्भ में पृथ्वी अपना एक घूर्णन 23 घंटे, 56 मिनट, 4.1 सेकंड में पूरा करती है, इसे नक्षत्र दिवस कहा जाता है।

चूँकि पृथ्वी अपना एक घूर्णन एक दिन में पूरा कर लेती है, इसे दैनिक गति भी कहा जाता है।

समय के साथ पृथ्वी की घूर्णन गति कम हो गई है, अर्थात् आज की तुलना में पहले दिन छोटे होते थे।       

पृथ्वी की घूर्णन गति, दिन और रात निर्धारित करती है। एक निश्चित अवधि के लिए सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के एक भाग पर पड़ता है तब वहाँ दिन होता है तथा अन्य भाग में रात।

पृथ्वी पर जो वृत दिन और रात को विभाजित करता है, उसे प्रदीप्ति वृत कहते हैं।


  
परिक्रमण गति
पृथ्वी सूर्य से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर इसके चारों ओर परिक्रमा करती है। पृथ्वी की थी गति परिक्रमण गति कहलाती है।

पृथ्वी यह परिक्रमा 29.75 किलोमीटर/सेकंड की रफ्तार से 365.25 दिनों में पूरा करती है। इस दौरान पृथ्वी लगभग 94 करोड़ किलोमीटर की दूरी तय करती है।

परिक्रमा करते हुए जब पृथ्वी सूर्य के सबसे निकट पहुँचती है, उसे उपसौर कहा जाता है था जब पृथ्वी सबसे दूर होती है तब अपसौर कहा जाता है।



ऋतुएँ
पृथ्वी के परिक्रमण के कारण ऋतुओं में परिवर्तन होता है। इस दौरान निम्न अवस्थाएं होती हैं –
ग्रीष्म संक्रांति
शीत संक्रांति
विषुव


ग्रीष्म संक्रांति : जब पृथ्वी का एक ध्रुव सूर्य के नजदीक सबसे अधिक झुका होता है, तब ग्रीष्म संक्रांति होती है।

यह वर्ष में दो बार होता है – हर गोलार्द्ध में 1 बार।

यह ग्रीष्म ऋतु में होता है। उत्तरी गोलार्द्ध में 21 जून व दक्षिणी गोलार्द्ध में 22 दिसम्बर को। 
21 जून व 22 दिसम्बर अपने गोलार्द्ध में सबसे बड़े दिन हैं।

शीत संक्रांति : जब पृथ्वी का एक ध्रुव सूर्य के नजदीक सबसे दूर झुका  होता है, तब शीत संक्रांति होती है।

यह वर्ष में दो बार होता है – हर गोलार्द्ध में 1 बार।

यह शीत ऋतु में होता है। उत्तरी गोलार्द्ध में 22 दिसम्बर व दक्षिणी गोलार्द्ध में 21 जून को। 22 दिसम्बर व 21 जून अपने गोलार्द्ध में सबसे छोटे दिन हैं।

विषुव : सूर्य की किरणें विषुवत रेखा पर लंबवत गिरती है। यह वर्ष में दो बार होता है – 21 मार्च और 23 सितंबर।

21 मार्च को उत्तरी गोलार्द्ध में बसंत तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में शरद ऋतु होती है। 23 सितंबर को उत्तरी गोलार्द्ध में शरद तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बसंत ऋतु होती है।